फिल्म द केरला स्टोरी को बंगाल और तमिलनाडु में बैन करा गया है। जिसको लेकर फिल्म के निर्माता ने सुप्रीम कोर्ट पर अर्जी डाली है, और फिल्म की अर्जी की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट पर हो रही है। फिल्म के निर्माता के वकील हरीश साल्वे ने अदालत पर कहा कि पश्चिम बंगाल में 12 से 13 लोगों के बयान पर ही फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया, वही अन्य राज्यों में फिल्म अच्छी तरह से चल रही है।
द केरला स्टोरी के वकील आगे कहते हैं, बंगाल सरकार का कहना है एक बार महाराष्ट्र पर एक हिंसक घटना हुई थी, जो कि बंगाल को यह बात नहीं बोलनी चाहिए। और साथ ही जब सेंसर बोर्ड ने फिल्म को ए सर्टिफिकेट दे दिया है, तो किसी भी राज्य का फिल्म को प्रतिबंध करने का हक नहीं है। वही फिल्म के अपोजिशन पार्टी के वकील कपिल सिब्बल और कवीश्वर कहते हैं अदालत को भी एक बार यह फिल्म देखनी चाहिए, हालांकि अदालत ने इस पर कोई भी बात नहीं करी।
कोर्ट में अर्जी से पहले पश्चिम बंगाल सरकार ने फिल्म पर बैन लगाने के लिए उसका सपोर्ट करा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया शपथपत्र में पश्चिम बंगाल सरकार कहती हैं फिल्म द केरला स्टोरी एक सोची समझी फिल्म है। इस फिल्म में कई गलत शब्द बोले गए हैं जो भावनाओं को दुख पहुंचा सकती है। यह दो समुदायों के बीच नफरत पैदा कर सकती हैं जिसके चलते राज्य की कानून व्यवस्था भी बिगड़ सकती हैं। बंगाल सरकार ने फिल्म के प्रतिबंध होने के कहीं रहस्य भरी बातें बताई।
वहीं तमिलनाडु सरकार कहती है उन्होंने यह फिल्म बैन नहीं करी है। तमिलनाडु के लोग ही इस फिल्म को देखना नहीं चाहते जिस कारण थिएटर के मालिक में ही इस फिल्म को चलाना बंद कर दिया। तमिलनाडु सरकार ने शपथ पत्र पर कहां फिल्म के डायरेक्टर का यह सोचना गलत है कि राज्य की सरकार फिल्म को बैन कर रही है जबकि कारण कुछ और ही है।
फिल्म द केरला स्टोरी को बनाने में 15 से 20 करोड़ लग गए है। और अब तक इस फिल्म ने 13 दिनों में 165.59 करोड़ कमा लिए हैं।