भारत ने अमेरिका को परमाणु प्रौद्योगिकी साझा करने का प्रस्ताव दिया है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि परमाणु तकनीक दो प्रकार की होती है।एक जिसे तैयार होने में 11 से 12 साल लगते हैं और एक वह छोटा मॉड्यूलर रिएक्टर है जिसे तैयार होने में 3 साल लगते हैं।क्या अमेरिकी इस प्रस्ताव को अपनाते हैं?
छोटा मॉड्यूलर रिएक्टर ?
भारत ने अमेरिका से परमाणु प्रौद्योगिकी की अबाध पहुंच साझा करने को कहा है।इस तकनीक में यह छोटा मॉड्यूलर रिएक्टर शामिल है।भारत ने 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन तक पहुंचने की घोषणा की थी। और इसके लिए 10 ट्रिलियन डॉलर के निवेश की जरूरत है। छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर से लक्ष्य हासिल करना भारत के लिए आसान होगा। छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों की मदद से भारत बिजली की उच्च दर को कम कर सकता है और इससे उद्योग में कार्बन निकास कम करने के लिए तकनीक विकसित करने में मदद मिलेगी। इन चीजों में छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों का बहुत बड़ा प्रभाव है।
उम्मीद होगी कि अमेरिका का फैसला क्या होगा। अभी के लिए अमेरिका 2020 में इस टेक्नोलॉजी को विकसित कर चुका है और प्रौद्योगिकी को साझा करने में मदद कर सकता है।भारत ने भारत से जुड़े अन्य छोटे देशों को निर्यात की संभावना तलाशने का सुझाव दिया है।इस टेक्नोलॉजी शेयर के बाद अमेरिका और भारत के संबंध और आगे की ओर अग्रसर होगा।