जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारत को अपना नया संसद भवन मिल गया है। उद्घाटन समारोह में 20 राजनीतिक दलों ने नई संसद का बहिष्कार किया है। क्या यह फैसला हमेशा के लिए है? और नई संसद का संकेत क्या है।
भारत की नई संसद!
28 मई 2023 भारत के इतिहास में ऐतिहासिक दिन बन गया है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 मई 2023 को नए संसद भवन का उद्घाटन कर दिया है। यह अभिनव और सराहनीय परियोजना है क्योंकि यह 2.5 साल से भी कम समय में तैयार हो गई है। नई संसद पुराने संसद भवन से आकार और क्षेत्र में बिल्कुल अलग है। नए संसद भवन का कुल क्षेत्रफल 64,500 वर्ग मीटर है जो पहले संसद भवन से अधिक क्षेत्रफल है जो 24,281.16 वर्ग मीटर था। नई संसद की वास्तुकला बिमल पटेल ने की है जिन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर को भी तैयार किया था। सेंगोल रखा गया है नए संसद भवन में साथ साथ अखण्ड भारत का मानचित्र, आचार्य चाणक्य, बरगद का वृक्ष जैसे कई भारतीय संस्कृति से जुड़े चीजो को प्रदर्शित किया गया है। नए संसद भवन का कुल खर्च 862 करोड़ है, वहीं बात करें सासंदो की तो 1272 सासंद अब नए संसद भवन में बैठ सकेंगे। जिसमें 888 लोक सभा में और 384 राज्य सभा में बैठेंगे। नई संसद प्राचीन संस्कृति से आधुनिक समय तक जुड़ी हुई है।
सेंगोल क्या है?
भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद लॉर्ड माउंट बैटन ने नेहरू जी से पुछा था कि आपको कोई सत्ता सौंपने का प्रतीक चिह्न भी चाहिए? भारत के अंतिम गवर्नर जनरल सी.गोपालाचार्य ने नेहरू जी को सेंगोल बनाने की सलाह दी थी। चोल साम्राज्य में जब सत्ता किसी अन्य पार्टी के पास जाती है तो सेंगोल को प्रतीक के रूप में दिया जाता है।और उस समय सेंगोल प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू को दिया गया था। सेंगोल संसद में नहीं था लेकिन अब नए संसद भवन में सेंगोल को भी आनंद भवन प्रयागराज से लाकर रखा गया है। अब नई संसद ब्रिटिश छाप से मुक्त है।
विश्व के देशों ने नए संसद भवन की खबर को कवर किया है। प्रशंसा के साथ साथ राजनीतिक दल के बहिष्कार को भी हेडलाइंस में डाला गया है। अब जनता पर यह निर्भर है कि क्या वो उन सांसद समुदाय को सपोर्ट करेंगे जिन्होनें देश को समर्पित धरोहर का बहिष्कार किया है या नए संसद भवन परिसर की विशाल और अद्भुत इमारत की खुशी साझा करेंगे। पुरानी संसद को संग्रहालय के रूप में बदला जा सकता है और जनता के लिए खोला जा सकता है।