जर्मनी में आर्थिक मंदी आ चुकी है। दुनियाभर में चौथा बड़ा अर्थ व्यवस्था वाला देश मंदी की ओर गया। जीडीपी निगेटिव में जा रही है पिछले छः महीने से जिसकी वजह से मंदी आ चुकी है। इससे भारत पर असर पड़ सकता है। क्या क्या आसार है?
मंदी का कारण।
यूरोपीय राष्ट्र में ऊर्जा संकट है। इस ऊर्जा संकट के कारण आर्थिक मंदी आई है।अगर वजह की बात करें तो सबसे पहले रूस पर लगे प्रतिबंध सामने आते हैं। उसके बाद अगर देखा जाए तो कोविड का भी कुछ असर अभी तक सुधरा नहीं है। मंदी की संभावनाएं 2023 रिपोर्ट के मुताबिक जी 7 के सभी देश मंदी को ओर जा रहे है। भारत में मंदी आने के चांस कम ही हैं। लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर एक झटका या सकारात्मक उम्मीद जरूर देता है।
भारत पर असर ।
अगर हम पश्चिमी कंपनियों की बात करें तो उन्होंने भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश करना शुरू कर दिया है।कोविड संकट के बाद चीन स्थित बाजार भारत में आ रहे है। अगर हम एप्पल कंपनी, टेस्ला कंपनी और कई अन्य के बारे में बात करते हैं, तो उन्होंने निवेश किया है जो भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़त मिल रही है। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शशिकांत दास को विश्वास है कि भारतीय अर्थव्यवस्था 7 जीडीपी तक 2023 मेें रहेगी। लेकिन बहुत ज्यादा यह आशंका है कि 2023 वर्ष 1975,1982,1991 और 2029 के बाद गोलबल मंदी का 5वां वर्ष होगा। और वैश्विक मंदी को डिमांड और सप्लाई चेन को मैनेज करने में 3 से 4 साल लग जाते हैं। ऐसी आशंका लगाई जा रही है की 2023 लंबी मंदी का वर्ष हो सकता है। अभी के लिए भारत पर सकारात्मक प्रभाव की अधिक संभावना है।
असीमित मंदी और प्रभाव जानने के बाद दुनिया को मंदी की ओर धकेलना पश्चिमी देशों का बड़ा मुद्दा है।पश्चिम के सभी देशों ने गलतियों से सीख नहीं ली और अभी भी संभावनाओं में सुधार नहीं कर रहे हैं।अपनी अर्थव्यवस्था का प्रबंधन भारत की प्रमुख प्राथमिकता है और इससे निश्चित रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़त और सुरक्षा मिलेगी।