केरल के एक छोटे से शहर कोडोट्टी से निकलकर “Interval” नामक एडटेक कंपनी ने शिक्षा जगत में क्रांति लाने का बीड़ा उठाया है। यह कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो यह सोचते हैं कि बड़े सपनों को पूरा करने के लिए बड़े शहर जरूरी होते हैं। “इंटरवल” इस बात का जीता जागता उदाहरण है कि जुनून और मेहनत हो तो सफलता कहीं भी मिल सकती है।
कंपनी का मुख्य फोकस बच्चों को उनकी जरूरतों के हिसाब से व्यक्तिगत शिक्षा प्रदान करना है। पारंपरिक कक्षाओं में अक्सर यह देखने को मिलता है कि बड़ी संख्या में छात्रों के कारण हर बच्चे को उचित ध्यान नहीं मिल पाता। “इंटरवल” इसी समस्या का समाधान करता है। कंपनी एक शिक्षक-एक छात्र के मॉडल पर काम करती है, जिससे शिक्षक छात्र को पूरा ध्यान दे पाता है और उसकी सीखने की गति के अनुसार पाठ्यक्रम को ढाल सकता है।
शुरूआत में “इंटरवल” का ध्यान सिर्फ उन बच्चों पर था जो बुनियादी विषयों को समझने में परेशानी का सामना कर रहे थे। लेकिन कंपनी ने जल्द ही महसूस किया कि शिक्षा का दायरा सिर्फ बुनियादी विषयों तक सीमित नहीं होना चाहिए। इसलिए कंपनी ने अपना दायरा बढ़ाते हुए प्री-केजी के बच्चों के लिए भी कोर्स शुरू किए। इन कोर्सों को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि बच्चों का सर्वांगीण विकास हो और उनकी जिज्ञासा को जगाया जा सके।
“इंटरवल” के प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना मिली है। पिछले साल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कंपनी की उपलब्धियों की प्रशंसा की थी। यह कंपनी के लिए एक बड़ा सम्मान था। सरकारी मान्यता और निरंतर मेहनत के बल पर कंपनी तेजी से विकास कर रही है।
“इंटरवल” की सफलता की कहानी न सिर्फ शिक्षा क्षेत्र के लिए बल्कि अन्य क्षेत्रों के स्टार्टअप के लिए भी एक प्रेरणा है। यह बताता है कि कैसे एक छोटे शहर से निकलकर कोई भी कंपनी बड़े बदलाव ला सकती है। कंपनी का फोकस न सिर्फ मुनाफा कमाना है बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव लाना है। “Interval” का मॉडल यह साबित करता है कि जुनून, सही रणनीति और लोगों के प्रति समर्पण से सफलता हासिल की जा सकती है।