आर्मेनिया की राजधानी येरेवन में पहली बार आर्मेनिया ईरान और भारत के बीच राजनीतिक एकाग्रता बात हुई। वे तीन फार्मेट पर भविष्य में बैठकों के लिए सहमत हुए।यह पाकिस्तान तुर्की और अजरबैजान के समूह के लिए जवाबी हमला होगा।क्या गठन का कोई विकास नजर आ रहा है?
बैठक के विशेष बिंदु।
आर्थिक विकास, सांस्कृतिक संचार चैनल और लोगों से लोगों तक सांस्कृतिक संपर्क ,ये प्रमुख नीति है इस संगठन की। तीनों भागीदारों ने ज्यादातर आर्थिक विकास और रक्षा साझेदारी पर ध्यान केंद्रित किया हैं। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि अजरबैजान और आर्मेनिया के बीच नागोर्नो कराबाख क्षेत्र को लेकर संघर्ष चल रहा है।और तुर्की अजरबैजान का समर्थन कर रहा है क्योंकि अजरबैजान में इस्लामी आबादी है। आर्मेनिया भारत के लिए महत्वपूर्ण भागीदार है क्योंकि आर्मेनिया ने कश्मीर मुद्दे पर भारत का समर्थन किया।
बाकू समझौता ?
अज़रबैजान ,पाकिस्तान और टर्की ने इस्लामाबाद में एक समझौते पर हस्ताक्षर किया गया था जिसका नाम है बाकू समझौता। इस घोषणा के अनुसार एक देश दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखेगा। तुर्की ने साइप्रस पर दावा किया, पाकिस्तान ने कश्मीर पर दावा किया और अजरबैजान ने नागोर्नो काराबाख पर दावा किया है।ये सभी इन तीनों देशों की एक ही मंशा को दर्शाते हैं।आर्मेनिया ने अब भारत के साथ 25 मिलियन डॉलर तक का रक्षा व्यापार शुरू किया। आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच साझेदारी पर भारी असर पड़ेगा।विदेश और रक्षा मंत्रालय दोनों अब आगे के विकास के लिए समझौता कर रहे हैं।
भारत के लिए ईरान ज्यादातर व्यापार चैनल स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। वहीं बात करें तो अर्मेनिया, ईरान और भारत व्यापार परिवहन के लिए एक चैनल से जुड़ सकते हैं। ये तीनों देश उन तीन देशों के लिए चुनौती बन सकते हैं।