दिबांग बांध भारत के अरुणाचल प्रदेश में निचली दिबांग घाटी में स्थित गुरुत्व बांध है। यदि इसका निर्माण किया जाता है, तो यह भारत का सबसे बड़ा बांध और 288 मीटर लंबा दुनिया का सबसे ऊंचा कंक्रीट ग्रेविटी बांध होगा।इसी पर जलविद्युत परियोजना होगी जो भारत की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना बनेगी।
दिबांग हाईड्रोइलेक्ट्रिक परियोजना।
जलविद्युत परियोजना से 2,880 मेगावाट उर्जा उत्पन्न होगी। परियोजना का मुख्य उद्देश्य बाढ़ नियंत्रण और जल भंडारण भी है। पूरा होने के बाद अरुणाचल प्रदेश सरकार को 1346.76 एमयू पानी प्राप्त होगा। इस परियोजना की कीमत होगी 31,876 करोड़ रूपया जिसे नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन(एन एच पी सी) पुरा करेगा।
दिबांग नदी इंडिया चीन बॉर्डर के कीया पास से उत्पन्न होती है जो मिसमी पहाड़ से होकर आती है। दिबांग, दिहांग और लोहित नदी डिब्रू सैखुवा राष्ट्रीय उद्यान के पास आकर मिल जाती हैं। जो आगे चलकर ब्रह्मपुत्र नदी से मिलती है। ब्रह्मपुत्र बरसात के मौसम में ओवरफ्लो हो जाता है जिससे क्षेत्र के भीतर बाढ़ आ जाती है।तो ब्रह्मपुत्रा को असम का दु:ख कहा जाता है। सरकार इस परियोजना के बाद दिबांग के पानी को नियंत्रित करेगी जिससे क्षेत्र को राहत मिलेगी।