भारत को मीला चटगांव बंदरगाह।
भारत को मीला चटगांव बंदरगाह

भारत को मीला चटगांव बंदरगाह।

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बांग्लादेश ने जहाजों को ट्रांसशिपमेंट करने और पारगमन के लिए भारत को चटगांव बंदरगाह और मोंगला बंदरगाह दिया।इस पहुंच से भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों और बंगाल में माल परिवहन के लिए समय और लागत में कटौती होगी। यह बंगाल की खाड़ी में क्षेत्रीय संपर्क प्रदान करेगा जिससे भारत को फायदा प्रदान करेगा।

चटगांव और मोंगला बंदरगाह।
चट्टोग्राम और मोंगला बंदरगाह बांग्लादेश के विदेशी व्यापार के महत्वपूर्ण केंद्र हैं,90 प्रतिशत समुद्री व्यापार पूर्व में स्थित है। ऐसे में दोनों बंदरगाह बांग्लादेश के अर्थव्यवस्था के लिए बेहद अहम हैं। चटगांव बंदरगाह भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय संबंधों की दिशा में एक कदम है। कर्णपुली नदी पर स्थित है चटगांव बंदरगाह। यह बांग्लादेश का बड़ा बंदरगाह है। मोंगला बंदरगाह बांग्लादेश के लिए व्यावसायिक महत्व रखता है। यह भारत और म्यांमार सहित बांग्लादेश और उसके पड़ोसी देशों के बीच व्यापार के लिए बहुतमहत्वपूर्ण है। भारत और चीन के लिए यह लड़ाई का मैदान की तरह है। बांग्लादेश का दुसरा बड़ा बंदरगाह है मोंगला बंदरगाह।

क्या है सौदा ?
बांग्लादेश के राष्ट्रीय राजस्व बोर्ड ने भारत को स्थायी पारगमन को मंजूरी दी है। 2018 में हुए समझौते के तहत दोनों देशों द्वारा बेहतर संचालन प्रक्रियाओं को अंतिम रूप देने के तहत कार्गो का ट्रांसशिपमेंट को मंजूरी मिल गई है। 2018 में भारत तक और भारत से माल परिवहन के लिए चटगांव बंदरगाह और मोंगला बंदरगाह के उपयोग पर समझौता पर हस्ताक्षर हुए थे। जुलाई 2020 को पहले परीक्षण में कोलकाता बंदरगाह के हल्दी बंदरगाह से चटगांव बंदरगाह तक लोहे की छड़ें और दालें पहुंचाई गईं थी जो फिर त्रिपुरा में बाद में पहुंचा।

चिकन नेक या सिलीगुड़ी कॉरिडोर परिवहन और सुरक्षा कारणों से खतरनाक है।बंदरगाह पहुंच ने कम लागत और कम समय में भारत के उत्तर पूर्व भाग तक पहुंचने की संभावना बेहतर बना दी है।इसके बाद बांग्लादेश को फायदा होगा कई मामलों में। बांग्लादेश सीपोर्ट पर मयंमार से आर्थिक लड़ाई में आगे बढ़ेगा और समझौते की मंजूरी से बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर सुविधाएं हासिल करेगा।

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Anjali Kumari

Anjali Kumari is an author at Xpert Times.

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