पूरे पश्चिम मीडिया एजेंसियों में रुबल और रुपये के व्यापार के खत्म होने की खबरें जोरों पर हैं। अगर ऐसा होता है तो दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों पर असर पड़ेगा। ये सब कितना सच है…..?
वर्तमान स्थिति क्या है ?
रूस ने इससे जुड़ी सभी खबरों का खंडन किया है। रूस ने स्पष्ट किया कि द्विपक्षीय विकास में कोई बदलाव नहीं होगा। यह पश्चिमी समाचार एजेंसियों की इच्छाधारी सोच होगी।अभी के लिए भारत रूस ने रुपये के साथ व्यापार पर वार्ता स्थगित कर दी है।हम तीसरे तरीके की तलाश कर रहे हैं ताकि हम सुगम तरीके से व्यापार कर सकें।भारतीय रुपये की अंतरराष्ट्रीय बाजार में ज्यादा स्वीकार्यता नहीं है। और यह भारत के लिए चिंता का विषय है कि अगर बड़ी मात्रा में रुपये का लेन-देन होता है तो इसका प्रभाव रूसी अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। अभी दोनों देशों के बीच 40 बिलियन डॉलर का व्यापार है और इसमें से केवल 2% भारत द्वारा निर्यात किया जाता है।देशों के बीच भारी व्यापार घाटा है। रूस में भारतीय उत्पादों की ज्यादा मांग नहीं है।
क्या क्या है विकल्प ?
रूस ने तीसरी मुद्रा व्यापार का सुझाव दिया जो चीन की मुद्रा रिनमिन्बी है।प्रतिबंधों के कारण भारत रूस को डॉलर, यूरो और किसी अन्य मुद्रा में भुगतान नहीं कर सकता है।ब्रिक्स मुद्रा डॉलर के प्रभुत्व को हिला देगी लेकिन भारत इसके लिए अमेरिका से संघर्ष नहीं चाहता।और यह मुद्रा जमीनी स्तर पर नहीं है।भारत ने भुगतान पर चर्चा किए बिना तेल खरीदा है।और यह दोनों देश के भरोसे को दर्शाता है।
भारत ने कहा कि हम मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाएंगे ताकि रुपए में ज्यादा ट्रांजैक्शन हो।और लेनदेन के लिए निश्चित रूप से कोई समाधान होगा।द्विपक्षीय संबंध जल्द खत्म नहीं होंगे।