असम और अरुणाचल प्रदेश ने लंबे दशकों के सीमा विवाद के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया।गृह मंत्री अमित शाह ने एमओयू को एक ऐतिहासिक अवसर बताया। असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने 22 अप्रैल को समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया। एमओयू ने 123 गांवों के साथ 800 किमी सीमा क्षेत्र को निपटाया जिसमें अरुणाचल प्रदेश के 12 जिले और असम के 8 जिले शामिल हैं।
एमओयू की क्या जरूरत थी ?
स्वतंत्रता से पहले अरुणाचल प्रदेश क्षेत्र को नार्थ इस्ट फ्रंटियर ट्रैक (एनईएफटी) के रूप में जाना जाता था और असम द्वारा शासित था। 1954 में नाम बदलकर नार्थ इस्ट फ्रंटियर ऐजेन्सी ( एनईएफए) कर दिया गया।
और NEFA का शासन विदेश मंत्रालय को दिया गया फिर 1965 में गृह मंत्रालय को इसे सौंप दिया गया। 1951 में असम के मुख्यमंत्री के अधीन NEFA क्षेत्र को हल करने के लिए एक समिति का गठन किया गया था। रिपोर्ट के अनुसार 3648 वर्ग किमी क्षेत्र असम में मिला दिया गया जिसमें असम का लखीमपुर और दरांग जिला का समतल क्षेत्र आता है। नेफा को 1972 में केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया गया और 15 साल बाद 1987 में यह अरुणाचल प्रदेश राज्य बन गया। अरुणाचल प्रदेश ने 1972 में असम के क्षेत्र पर दावा किया।
कैसे हुआ समझौता ?
भारत के मानचित्र सर्वेक्षण के आधार पर,1979 में एक त्रिपक्षीय समिति का गठन किया गया। 800 किमी में से 489 किमी 1982-83 में सीमांकन किया गया। जिसे अरुणाचल प्रदेश ने स्वीकार नहीं किया।1989 में असम ने अरुणाचल प्रदेश के अतिक्रमण के लिए सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया। 2006 में शीर्ष अदालत ने एक भूमि सीमा आयोग का गठन रिटायर्ड न्यायाधीश के अधीन मेें किया गया और 2014 में रिपोर्ट प्रस्तुत की लेकिन फिर से दोनों राज्यों की सहमती नहीं बन पाई। दोनों राज्यों में भाजपा की सरकार है। दोनों सीएम ने 24 जनवरी 2022 को कुछ प्रमुख बिंदुओं से सहमती जताई।
- 20 अप्रैल 2022 को 123 गांवों को सीमाबद्ध किया।
- दोनों राज्यों के बीच की सीमाओं को 1980 के अनुसार सीमित किया जाएगा।
- अरुणाचल प्रदेश के 12 जिलों और असम के 8 जिलों वाले 123 गांवों के संयुक्त सीमाबद्ध के लिए12 क्षेत्रीय समितियों का गठन हुआ।
समिति का केन्द्र ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य, प्रशासनिक विश्वास और लोगों की इच्छा होनी चाहिए।
जुलाई 2022 में नमसाई घोषणापत्र में 37 गांवों का समाधान किया गया था। अब 34 गांवों का समाधान हो गया है।123 में से 71 गांव इस प्रकार बांटे गए हैं जिसमें 1 गांव असम को दिया जाएगा,असम के 60 गांव अरुणाचल प्रदेश को दिए जाएंगे और असम के 10 गांव असम के लिए रहेंगे। अगले छह महीने में 49 गांवों का समाधान किया जाएगा। बाकी तीन गांवों का फैसला केंद्र सरकार ,अरुणाचल प्रदेश और एयरफोर्स के हिसाब से होगा। क्योंकि वह इलाका डुलोंग में भारतीय वायु सेना के बमबारी क्षेत्र का है। एमओयू के अनुसार,आने वाले वर्षों में किसी के द्वारा कोई विवाद नहीं होना चाहिए क्योंकि यह सीमा विवाद यहीं समाप्त हो गया है।