घर पर तिरंगा फहराने से पहले निम्न लिखित बातों का रखें ध्यान, जानिए राष्ट्रीय ध्वज से जुड़े नियम

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आजादी के 75 साल पूरे होने पर पूरे देश में सरकार की ओर से हर घर तिरंगा अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान के तहत, सरकार ने लोगों से अपील की है कि 13 से 15 अगस्त के बीच हर घर पर तिरंगा फहराया जाए. 

कैसा है भारत का राष्ट्रीय ध्वज?

भारत का राष्ट्रीय ध्वज तीन रंगों का है। इसे तिरंगा कहते हैं। तिरंगे में सबसे ऊपर केसरिया, बीच में श्वेत और सबसे नीचे हरा रंग होता है। श्वेत रंग पर नीले रंग का अशोक चक्र का चिन्ह होता है। अशोक चक्र में 24 तीलियां होती हैं। राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के निर्माता पिंगली वेंकैया थे।

ध्वजारोहण और तिरंगा फहराने में अंतर

सबसे पहले तो आपको ये पता होना चाहिए कि 15 अगस्त को ध्वजारोहण किया जाता है और 26 जनवरी को तिरंगा फहराया जाता है। ध्वजारोहण और झंडा फहराने के बीच एक बड़ा अंतर है। जब तिरंगे को नीचे से रस्सी के माध्यम से खींचकर फहराया जाता है, तो इसे ध्वजारोहण (Flag Hoisting) कहते हैं। लेकिन 26 जनवरी में तिरंगा ऊपर ही बंधा होता है, जिसे पूरा खोलकर फहराया जाता है। इसे झंडा फहराना (Flag Unfurling) कहते हैं।

राष्ट्रीय ध्वज से जुड़े नियम :

.तिरंगा फहराते समय हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए केसरिया रंग का हिस्सा ऊपर हो और हरे रंग वाला हिस्सा नीचे हो।
.झंडा कटा-फटा, गंदा,अव्यवस्थित नहीं होना चाहिए।
.राष्ट्रीय ध्वज को किसी भी व्यक्ति या वस्तु की सलामी में नहीं झुकाना चाहिए।
.राष्ट्रीय ध्वज के साथ कोई अन्य ध्वज या ध्वजपट उससे उससे ऊंचा या उसके बराबर नहीं लगाया जाएगा। और न ही ध्वजारोहण के दौरान कोई फूल या माला या प्रतीक सहित कोई वस्तु, जिससे राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है, ऊपर रखी जाएगी।
.उत्सव, थाली आदि में या किसी अन्य तरीके से सजावट के लिए तिरंगा का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा
.राष्ट्रीय ध्वज को जमीन,फर्श, पानी पर नहीं रखा जाएगा और फहराते समय इन चीजों को स्पर्श नहीं करना चाहिए।
तिरंगा जिस खंभे,डंडे आदि में फहराया जाएगा, उसमें कोई दूसरा ध्वज नहीं लगा होना चाहिए।
.राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग किसी भी पोशाक या वर्दी या किसी पहनावे के हिस्से में चित्रित नहीं किया जाएगा, जो किसी भी व्यक्ति के कमर के नीचे पहना जाता है और न ही कुशन, रूमाल, नैपकिन, अंडर गारमेंट्स या किसी कपड़े में कढ़ाई या मुद्रित रूप में किया जाएगा।
.राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग वक्ता के मेज को ढकने के लिए नहीं किया जाएगा, न ही वक्ता के मंच को इससे लपेटा जाएगा।

author

Sarajuddin Khan

Content Writer from Siddharth Nagar UP. INDIA

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