जी हां,आपने सही सुना। अमृतपाल सिंह ने 37 दिनों की लड़ाई के बाद आत्मसमर्पण कर दिया।दस शहरों में तलाशी अभियान और 9 गिरफ्तारियों के बाद आखिरकार पंजाब पुलिस ने अमृतपाल सिंह को पकड़ ही लिया। क्या यह खालिस्तान की मांग का अंत है?
Amritpal Singh का मामला।
कट्टरपंथी अमृतपाल सिंह को पंजाब के मोगा जिले से गिरफ्तार किया गया है।वहां से उसे असम के डिब्रूगढ़ जेल में शिफ्ट किया जाएगा। यह एक खालिस्तान समर्थक है जिसपे एनएसए यानि नेशनल सिक्योरिटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है। अमृतपाल सिंह 18 मार्च 2023 से पुलिस की गिरफ्त से फरार था। अब उसे पंजाब के मोगा जिले के रोड गांव से गिरफ्तार किया गया है। रोडे ,जरनैल सिंह भिंडरांवाले का पैतृक गांव है, जो 1994 में मारा गए एक उग्रवादी नेता था।
डिब्रूगढ़ जेल क्यों ?
क्योंकि खालिस्तान विरोध के बाद ऐसे और समूह हैं जो अभी भी पंजाब और दिल्ली में सक्रिय हैं।सुरक्षा कारण और शांति के माहौल के लिए उसे असम की जेल में रखा जाएगा, जो सुरक्षित जेल है। गृह मंत्री अमित शाह ने पंजाब पुलिस की उपलब्धि की सराहना की है।क्योंकि सुरक्षा के हिसाब से यह बहुत जरूरी कदम था। यहां तक कि पाकिस्तान भी स्थिति से जुड़ा हुआ है।कुछ रिपोर्ट के मुताबिक अमृतपाल सिंह जॉर्जिया में आईएसआई से प्रशिक्षित था।अब आगे की जांच इन सभी को स्पष्ट करेंगी।
खालिस्तान आंदोलन पाकिस्तान की विश्व राजनीतिक परियोजना है।यह भारतीय परिप्रेक्ष्य के लिए खतरनाक है। आने वाले समय में इस घटना के बारे में और जानकारी बाहर आएंगी तभी सब कुछ स्पष्ट होगा।