लखनऊ: प्रदेश में औद्योगिक विकास की अपार संभावना हैै। औद्योगिक क्षेत्र रोजगार का सबसे बड़ा साधन है। प्रदेश में औद्योगिक निवेश के माहौल को और बेहतर करने के लिए नियमों में समयानुकूल बदलाव किए जाने जरूरी हैं।
ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट के लिए जाने को तैयार अधिकारियों को पहले यह बताना है कि वह किस देश में जाकर किस सेक्टर में निवेश के लिए बात करेंगे। वे वहां कितनी कंपनियों से जाकर बात करेंगे। विदेशों में रोड शो के लिए उनके प्रतिनिधिमंडल का स्वरूप क्या होगा। मुख्य सचिव ने बीस विभागों के अपर मुख्य सचिवों व प्रमुख सचिवों से यह जानकारी मांगी है। उन्होंने इस बाबत अंतिम निर्णय के लिए 3 सितंबर को बैठक बुलाई है।
सीएम ने कहा कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के सफल संचालन के लिए अलग से टीमें बनाई जाएं। सभी संबंधित विभाग इसको लेकर तैयारी शुरू कर दें। इसकी सतत निगरानी मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा की जानी चाहिए। हमें भारत सरकार से संवाद स्थापित कर आवश्यक मार्गदर्शन प्राप्त करना चाहिए।
इन अफसरों को बताना है कि उन्होंने नीतियां बनाने, भूमि बैंक बनाने, दूसरे राज्यों की परियोजनाओं का अध्ययन करने का कितना काम किया। कई और सवालों के जवाब भी अफसरों को लिखित में देने हैं। मसलन, उनके विभाग की मौजूदा नीति से कितनी औद्योगिक इकाइयां लगीं, कितनों को इंसेंटिव दिया गया। कितने राज्यों में चल रही नीतियों का अध्ययन किया गया। यह भी बताना है कि उनके विभाग की तैयार नीतियां को कब कैबिनेट से पास कराया जाए। कब इसकी अधिसूचना जारी होगी और कब तक नीतियों का अनुवाद हो जाएगा। इसकी समय सीमा भी बतानी है।
इन विभागों को पूरी तैयारी के साथ आने के निर्देश
एमएसएमई, आवास व शहरी नियोजन, नगर विकास, आईटी, खाद्य प्रसंस्करण, दुग्ध, पशुपालन, ऊर्जा, अतिरिक्त ऊर्जा, अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत, हथकरघा, वस्त्रोद्योग, पर्यटन, खादी, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि, नागरिक उड्डयन, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा, सूचना फिल्म बंधु।
अगले पांच साल में निवेश का लक्ष्य
हर विभाग को बताना है कि पश्चिमी, मध्य, बुंदेलखंड व पूर्वांचल में कितना कितना निवेश होने की उम्मीद है। उद्योगों व संभावित रोजगार की संख्या भी बतानी है। यही नहीं भूमि बैंक की जानकारी देनी है। असल में औद्योगिक विकास विभाग को अपनी नई औद्योगिक नीति भी बनानी है। इसके अलावा 10 विभागों को अपनी नीतियों को फाइनल करना है। यह काम अब 31 अगस्त तक पूरा होना था। अब मुख्य सचिव ने 15 सितंबर तक का वक्त दे दिया है।
उत्तर प्रदेश में जिस देश के निवेशकों को आमंत्रित किया जाएगा, उससे संबंधित नीतियां उनकी मातृ भाषा में ही उन्हें उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके लिए औद्योगिक नीति समेत 27 सेक्टोरल नीतियों का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद का फैसला किया गया है।