Bihar

बिहार का इतिहास बना उसके पतन का कारण ?

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बिहार एक ऐसा राज्य जिसकी गाथा बस इतिहास तक सीमित है।आज का वह राज्य जिसकी साक्षात्कार नीचे से प्रथम स्थान पर वो 61.8% के साथ खड़ा है। वही बात करे गरीबी की तो 51.9% के साथ बिहार की गरीबी देश में चर्चित रही। बिहार की प्रजनन दर 3% है जो राष्ट्रीय दर या औसत दर से अधिक है। मानो बिहार सिर्फ चर्चा का एक मुद्दा हो जो हर आंकडों में सिर्फ अपनी उपस्थित नीचे से दर्ज कराता हो। स्कूल के वो दिन याद होगें जब रैंकिंग बांटी जाती थी तो टीचर कभी विफल हुए छात्रो के विफलता का कारण नहीं जानता था बल्की इनाम घोषित कर सफल हुए छात्रो को बढ़ाकर आगे बढ़ता। क्या बिहार वही विफल राज्य है जिसे छोड़कर देश आगे बढ़ेगा?

बिहार की हस्ती?
बिहार ने देश को वाल्मीकि, बुद्ध, महावीर, चाणक्य नीति,अशोका,नालंदा विश्वविद्यालय और न जाने कितने जननायको को जन्म दिया जिसे आप इंटरनेट पर खोजेंगे तो शायद याद रखना मुश्किल बन जाएंगा।
बिहार ने भारत को समृद्ध और शशक्त बनाने में अहम भूमिका निभाई है।जिससे जाहिर है कि बहुत विशेष धरती है ये बिहार।
आज देश में समानता को होड़ बहोत तेज है,हक की लड़ाई तेज है। बिहार के चुने हुए माननीय नेता भी इसमें शामिल है जिन्हें बिहार को विशेष राज्य का दर्जा चाहिए। जिसके मिलने से बिहार शायद हर मुश्किलों से आगे निकल कर अपनी ऐतिहासिक छवी सिद्ध कर पाएगा। पर क्या एक टैग मिलने से हम 5-6 दशक की कमियो को मिटा देगें? क्या विशेष राज्य का दर्जा राज्य के शिक्षा व्यवस्था को परिपूर्ण कर पाएगा ताकि बिहार के विकासशील छात्र बिहार के बढ़ोतरी में अपना योगदान दें?

राज्य सरकार की वर्तमान परिस्थिति।
8 वीं बार सीएम बनने के बाद नीतीश कुमार ने अपनी जद्दोजहद जारी रखी है।जिसमें बिहार की सत्ता पर काबिज रहने के लिए हर बारी फेरबदल ,वार प्रहार कर जनता के मत को दरकिनार कर अपनी पार्टी के घोषणा पत्र को समझकर समझा नहीं पाए। 2025 के चुनाव के पहले घोषित किए गए घोषणो पर कितनी पकड़ रहेगी या हर बारी की तरह उनकी पकड़ जाति बनी रहेगी। राज्य के मंत्री अपने मंत्रालय और उसकी कार्यशैली जानने में इतने सक्षम है की 3 मंत्रालय या उससे अधिक मंत्रालय अकेले ही सम्भाल रहे है।तेजस्वी यादव उप मुख्यमंत्री,9 वी तक पढ़ाई लेकिन स्वास्थ्य, ग्रामीण कार्य विभाग, नगर विकास एवं आवास और पथ निर्माण मंत्रालय सम्भालते हैं। वहीं तेज प्रताप यादव जिन्हें लगता है कि भोजपुरी भाषा को 8 वी सूची में न डालकर 1सूची में डालना चाहिए। उन्हें पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय दिया गया है। अब कही वो मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में ओजोन गैस को तेजी से बढ़ाने की बात न कर दे। बिहार के एक ऐसे ही महान शिक्षा मंत्री है, जिनका नाम है डाॅ चन्द्र शेखर। इनके बयान के मुताबिक रामचरितमानस और मनुस्मृति समाज में विरोध फैलाता और विभाजित करता है। अब इतने बड़े बड़े पदभार संभाल रहे नेता ऐसे हो तो जनता उम्मीद ही क्या लगा सकती है।

बिहार में जनसांख्यिकीय ढांचा।
शिक्षा बढ़ोतरी का वो जड़ है जिसको किसी से बदला नहीं जा सकता। “राइट टू एजुकेशन” डेढ दशक पहले ही देश में लागू किया गया जिसका प्रकास बिहार में नहीं दिखा। वहीं बात करें इसकी तो मुख्य कारण हैं उच्च छात्र शिक्षक अनुपात,गरीब बुनियादी ढांचा,अप्रशिक्षित शिक्षक,नामांकन में भ्रष्टाचार और उच्च एवं कुशल शिक्षा संस्थानों की कमी। 2022 में सरकार ने बजट में सबसे अधिक शिक्षा पर पैसा आवंटित किए गए है,जो कागज तक शायद न रूक जाए। जमीनी हकीकत बदलनी जरूरी है। बिहार और यूपी देश का युवा प्रमुख राज्य है।जिसकी मध्य उम्र मात्र 20 वर्ष है। ऐसे युवा जो देश के उज्जवल भविष्य है वो असफल रह गए तो केंद्र सरकार कब दखल देगी और कहाँ से उम्मीद करेगी। क्योंकि शिक्षा समवर्ती सूची का विषय है जिसपे केंद्र का हस्तछेप आवश्यक है।

गुंडा राज्य?
बिहार की गाथा का उल्लेख “मेगस्थनिस” के किताब “इंडिका” में मिलता है जिसमें मगध का पाटलिपुत्र या पटना का पूर्ण उल्लेख है। जहां वे अच्छी तरह से संरचित बुनियादी ढांचे, उच्च मानक प्रशासन और कुशल प्रबंधन से बेहद प्रभावित हुए। जबकि 2021 एनसीबी डेटा के मुताबिक पुलिस पर हमला करने के मामले में बिहार रैंकिंग में सबसे ऊपर है। भूमि विवाद हो, हत्या हो,अपहरण हो या महिला से जुड़े अपराध हो बिहार पहली और दुसरी पैदान को कायम रखता है। सवाल ये है कि इतनी गरीबी के बावजूद भी इतनी फंडिंग होती कहाँ से है?

राजनीतिक अस्थिरता।
33 बारी बिहार की सत्ता बदली,1950 से अबतक। ये वही बिहार है जिसने बाबू जयप्रकाश नारायण की अगुवाई में इंदिरा गाँधी की सरकार हिला कर रख दी थी आज वही बिहार अपनी ही राजनीतिक उथल-पुथल
में फंसकर रह गया है। भ्रष्टाचार, अपराध, गरीबी और कुप्रबंधन बिहार की छवि के परिचायक बन गए है। आज हर बिहारी इसका सामना करता है देश के हर कोने में। लोग आवाज उठाने से बेहतर पलायन कर खुद को सुरक्षित मान रहे। जातीय राजनीति ने कई ठेकेदारो को जमाया और खींच तान की राजनीति चलाई। आज भी बिहार सिर्फ जमीनी हकीकत से दुर बस इतिहास को लेकर ढो रहा जो पतन का संकेत है। बिहार का भविष्य बिहार की जनता के हाथ में है जो लोकतांत्रिक सुनामी
से बिहार की विफलताओ को सफलता में बदलकर देश को आगे बढ़ा सकते है।

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Anjali Kumari

Anjali Kumari is an author at Xpert Times.

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